Thursday, December 2, 2021

 कई बार सोचता हूँ कि  

जो सपने पूरे नहीं हो पाते 
वो कहाँ जाते हैं 

कभी न बरसने वाले,
रुई जैसे सफ़ेद बादलों के साथ 
हवा में पिघल जाते हैं 
या नन्हीं कश्तियों के कागज़ संग 
पानी में घुल जाते हैं 

नदी से अलग हुई धार में उतरकर  
किसी पोखर में ठहर जाते हैं 

या किसी आधी लिखी कविता के जैसे 
कहीं पीले पन्नो में बिसर जाते हैं 

जो सपने पूरे नहीं हो पाते 
वो कहाँ जाते हैं...